आज के बत्तीस साल पहले जिसे बर्बाद करने चला था अमेरिका उसी इसरो की तकनीक ने हिला डाली अमेरिकी स्पेस एजेंसी की बुनियाद। देखते ही देखते आखिर 30 जून को बर्बाद हो गया चीन का सपना। इसरो ने लॉन्च तो सैटेलाइट किए था फिर अंतरिक्ष में पहुँच के वो क्या था जिसका, पता चलते ही हिल गई पुरी दुनिया।
दोस्तों पिछले महीने इसरो ने 22 जून को एक तूफानी सैटेलाइट लॉन्च किया था जिसका, धमाका अभी शांत भी नहीं हुआ था की, तुरंत 30 जून को भी इसरो ने एक और मिशन से सबको हैरान कर दिया यह मिशन देखने में बेहद साधारण और सिंपल रहा था। सिंगापुर के सैटेलाइट के साथ इसरो ने भारत के भी कुछ छोटे सैटेलाइट लॉन्च किए। इसरो का पीएसएलवी c53 मिशन सफलता के पायदान पर पूरा हुआ। लेकिन, वास्तव में इसकी कामयाबी का कोहराम तो कुछ वक्त पहले मचा जब दुनिया को पता चला की इसरो ने सैटेलाइट नहीं बल्कि एक बेहद खतरनाक मिशन लॉन्च किया था जो पूरी दुनिया के बीच अब भारत को बेहद ताकतवर बना चुका है तो दोस्तों आखिर इस मिशन में क्या था इसरो का वो सीक्रेट प्लान और उसके बाद अब अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा क्यों हैरान है और चीन के पेट में दर्द आखिर क्यों होने लगा है। क्यों वो बाप बाप करने लगा है तो दोस्तों जरा दिल थम कर बैठिए क्योंकि आज का वीडियो बेहद खास होने वाला है। इसरो के पोयम त7कनीक ने अंतरिक्ष में मचा दिया तूफान भरोसेमंद रॉकेट के आखिरी पार्ट ने उडा दी चीन की नींद।दोस्तों बात यह है की, इसरो अपने सबसे भरोसेमंद रॉकेट से 30 जून को तीन विदेशी सैटेलाइट और दो भारतीय स्टार्टअप के सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजता है सब देखते हैं की ये लॉन्चिंग भी शानदार अंदाज़ में पुरी होती है और लोग तालियां बजाते हैं और मामला शांत हो जाता है लेकिन, असली बात जब सामने आती है तो पुरी दुनिया चौंक जाती है। मैं आपको बताता हूं लेकिन उससे पहले आपको मोदी वाले मिशन से रूबरू करवा देता हूं क्योंकि भारत ने अब स्पेस प्रोग्राम को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया है। पीएम मोदी की प्लानिंग है की, स्पेस में भारतीय कदम सबसे आगे होने चाहिए। भारत का सपना यह है की, एलेन मस्क कंपनी स्पेस एक्स की तरह भारतीय कंपनियों भी इस प्रोग्राम से जुड़े और स्पेस से जुड़े व्यापार में भारत डंका बजाते रहा है और दोस्तों पीएम मोदी की पहल का ये असर हुआ की दो स्टार्टअप दिगंतर और ध्रुव स्पेस भी इसमें शामिल हुए और दोस्तों असल धमाल यहां से शुरू होता है की, इसरो का ये अभियान कुछ ऐसा कमल करता है की जो किसी ने सोचा भी नहीं था। चीन चंद्रमा पर कब्जे का जाल बनाता रह गया और इसरो के इस प्रदर्शन ने दुनिया की तमाम स्पेस एजेंसियों को झटका दे दिया। तो आखिर इसरो ने ऐसा क्या खास किया है जिसे जानकर दुनिया के होश उड गए हैं। क्यों स्पेस में बढ़ती भारत की ताकत से उनकी बेचैनी बढ़ गई है ? तो दोस्तों जब भी कोई सैटेलाइट लॉन्च होता है तो उसके रॉकेट का आखिरी पार्ट लास्ट में जाकर कचरा बन जाता है लेकिन इस बार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने इस चरण को कचरा बनने की बजाय उपयोग में लाने का कम किया है।
30 जून को लॉन्च हुए मिशन में पोयम नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया गया था ताकि प्रक्षेपण यनक चौथे चरण को उपयोगी बनाया जा सके दोस्तों इस चरणों को 'वैज्ञानिक प्रयोग' के मंच के तौर पर उपयोग किया जा सकता है और दोस्तों इसी बात से चीन दारा हुआ है क्योंकि इसरो ने दुनिया की तमाम स्पेस एजेंसियों से एक कदम आगे की सोच और यह मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च कर डाला ऊपर से इसका खर्चा भी बहुत ही कम दिया है। वैसे भी, इसरो की एक खास बात है की, वो कम खर्चे में बड़ा धमाका करने का आदि है इसरो ने 'चंद्रन' जैसे मिशन को अंजाम देकर दुनिया में धमाका कर दिया था और एक बार फिर 'चंद्रयान फ्री' लेकर ईसरो तैयार है। वहीं भारत की डिफेंस जरूरत को देखकर इसरो ने दुनिया को हैरान करने वाले सैटेलाइट लॉन्च करके दुनिया को अपना दमखम दिखाया है लेकिन, इस बार इसरो ने जो किया है उसके पीछे खास वजह है जिसे जानकर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा।
चांद पर कब्जा करने चला ही था ड्रैगन (चीन) तभी अंतरिक्ष भारत ने बढ़ा दिए सीक्रेट ताकत और अब इसरो के नए धमाके ने बढाई चीन की मुसीबत। दोस्तों पोयम दरअसल पीएसएलवी कच्ची प्रयोगात्मक मॉड्यूल एक प्लेटफार्म या मंच है जो वैज्ञानिकों को कक्षा में ही प्रयोग करने की अवसर प्रदान करता है इसके लिए इसरो की 'पोलर सैटेलाइट' लॉन्च व्हीकल का अंतिम या चौथे चरण के हिस्से का उपयोग किया गया है। जो सामान्य तौर पर प्रक्षेपण की भूमिका खत्म होने के बाद नष्ट हो जाता है। पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल चार चरणों वाला रॉकेट है जिसके पहले तीन चरण तो महासागर में गिर जाते हैं। लेकिन, अंतिम या चौथा चरण जिसे PS4 भी कहते हैं वो सैटेलाइट को उनके और बीट में पहुंचने के बाद केवल एक अंतरिक्ष का कचरा भर रह जाता है लेकिन, जब इसरो ने पीएसएलवी c53 का प्रक्षेपण किया तो इसके चौथे चरण को प्रयोग करने के लिए एक स्थिर मंच के रूप में उपयोग में लिया।
इसरो अधिकारियों के मुताबिक यह पहली बार था जब PS4 चरण ने एक स्थिर मंच की तरह पृथ्वी का चक्कर लगाया दोस्तों इसरो के चेयरमैन इस सोमनाथ ने भी प्रक्षेपण के बाद मिशन कंट्रोल से कहा था की मूल अभियान के बाद चौथा चरण कक्षा में पोयम यानी कविता लिखेगा और दोस्तों इसने सफलता की कविता लिखी डालिए और दोस्तों इसी बात में चीन की धड़कनें बढ़ा दी है क्योंकि चीन को अंदाजा हो गया है की इसरो के इस मिशन का उद्देश्य क्या है चीन की घबराहट की सबसे बड़ी वजह यह है की इस चौथे चरण के जरिए भारत आसानी से किसी भी चीनी सैटेलाइट को बर्बाद कर सकता है और चीन को पूरा यकीन है की भारत जरूरत पड़ने पर उसके सैटेलाइट को टारगेट कर सकता है क्योंकि, इसरो अपने रॉकेट के साथ एक्सपेरिमेंट तौर पर खतरनाक एनर्जी वेपन अंतरिक्ष में भेज सकता है और उसके स्पेस स्टेशन और जासूसी सैटेलाइट को तबाह कर सकता है दोस्तों आपको मालूम ही है की, मार्च 2019 में ही भारत ने वो तकनीक हासिल कर ली है जिसके जरिए वो किसी भी वक्त किसी भी दुश्मन सैटेलाइट को तबाह कर सकता है और दोस्तों इसी बात से स्पेस में इसरो के तेजी से बढ़ रहे कदमों से चीन और अमेरिका परेशान हो उठे हैं क्योंकि, भारत ने ये तकनीकी अपने दम पर डेवलप की है।
दोस्तों इस वक्त दूसरे देशों की जमीन और समुद्र पर कब्जा करने के बाद चीन चंद्रमा पर कब्जा करने की साजिश रच रहा है वो चाहता है की चंद्रमा पर केवल उसका राज हो दूसरा कोई भी देश चंद्रमा पर ना तो रिसर्च कर सके ना ही वहां खुदाई कर सके चीन की मर्जी के खिलाफ कोई भी देश चंद्रमा में घुसने की कोशिश भी ना कर सके चीन तो यहां तक चाहता है की फ्यूचर में चंद्रमा तक जाने के लिए लोग उससे वीजा ले लेकिन भारत की बढ़ती स्पेस तकनीक ने चीन के इन अरमानों पर कुल्हाड़ी चला दी है क्योंकि, 3 साल पहले इसरो ने एंटी सैटेलाइट टेक्नोलॉजी हासिल की थी और अब इस नई तकनीक को हासिल करके इसरो ने एक बार फिर चीन की घबराहट बढ़ा दी है। इसरो ने मिसाइल के इस्तेमाल से करीब 300 किलोमीटर दूर औरबीट में मौजूद एक लाइव सैटेलाइट को नष्ट कर दिया था और इस तरह से भारत एंटी सैटेलाइट टेक्नोलॉजी में कामयाबी प्राप्त करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया था।
1967 में हुई आउटर स्पेस संधि के अनुसार अंतरिक्ष को युद्ध क्षेत्र नहीं बनाया जा सकता इसीलिए, भारत ने अपने ही सैटेलाइट को नष्ट किया था वो पूरा मिशन केवल 3 मिनट में पूरा हो गया था ये भारत की बहुत बड़ी कामयाबी थी दोस्तों सैटेलाइट किसी देश के लिए बेहद सीक्रेट वेपंस की तरह कम करते हैं। ये दुश्मन की तमाम कुटिया इनफॉरमेशन दे सकते हैं ऐसे में अगर भारत को दुश्मन के किसी सैटेलाइट से खतरा होता है तो भारत उसे आसानी से बर्बाद कर सकता है। पीएसएलवी c53 की पोयम तकनीक इस मामले में भारत की ताकत और बढ़ा देती है इसके जरिए भी भारत किसी भी सैटेलाइट को बर्बाद कर सकता है।
15 अगस्त 1969 से लगातार इसरो अंतरिक्ष में भारत की ताकत बढ़ा रहा है फिलहाल इसरो जी जान से गगनयान की तैयारी कर रहा है। गगनयान के जरिए एक बार फिर इसरो पुरी दुनिया में धमाका करने वाला है। पुरी दुनिया दिल थाम कर उस पल का इंतजार कर रही है। जब गगनयान की सफलता के साथ इसरो इतिहास रचेगा इससे पहले इसरो एक साथ 28 नैनो सैटेलाइट लॉन्च करके इतिहास रच चुका है। इसरो बहुत कम टाइम और बेहद कम बजट में ऐतिहासिक सफलता प्राप्त कर चुका है। अब भारतीय कंपनियों भी स्पेस प्रोग्राम में हिस्सा ले सकेंगे। अंतरिक्ष के इस खेल में व्यापार की असीमित संभावना है और भारत इस दिशा में कदम बढ़ा चुका है इसीलिए, अंतरिक्ष में भारत दुनिया के कुछ खास चुने देशों में से एक है।
तो यह था हमारा स्पेशल वीडियो आपको यह वीडियो कैसा लगा नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दें और इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें और शेयर करें।
चांद पर कब्जा करने चला ही था ड्रैगन (चीन) तभी अंतरिक्ष भारत ने बढ़ा दिए सीक्रेट ताकत और अब इसरो के नए धमाके ने बढाई चीन की मुसीबत। दोस्तों पोयम दरअसल पीएसएलवी कच्ची प्रयोगात्मक मॉड्यूल एक प्लेटफार्म या मंच है जो वैज्ञानिकों को कक्षा में ही प्रयोग करने की अवसर प्रदान करता है इसके लिए इसरो की 'पोलर सैटेलाइट' लॉन्च व्हीकल का अंतिम या चौथे चरण के हिस्से का उपयोग किया गया है। जो सामान्य तौर पर प्रक्षेपण की भूमिका खत्म होने के बाद नष्ट हो जाता है। पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल चार चरणों वाला रॉकेट है जिसके पहले तीन चरण तो महासागर में गिर जाते हैं। लेकिन, अंतिम या चौथा चरण जिसे PS4 भी कहते हैं वो सैटेलाइट को उनके और बीट में पहुंचने के बाद केवल एक अंतरिक्ष का कचरा भर रह जाता है लेकिन, जब इसरो ने पीएसएलवी c53 का प्रक्षेपण किया तो इसके चौथे चरण को प्रयोग करने के लिए एक स्थिर मंच के रूप में उपयोग में लिया।
इसरो अधिकारियों के मुताबिक यह पहली बार था जब PS4 चरण ने एक स्थिर मंच की तरह पृथ्वी का चक्कर लगाया दोस्तों इसरो के चेयरमैन इस सोमनाथ ने भी प्रक्षेपण के बाद मिशन कंट्रोल से कहा था की मूल अभियान के बाद चौथा चरण कक्षा में पोयम यानी कविता लिखेगा और दोस्तों इसने सफलता की कविता लिखी डालिए और दोस्तों इसी बात में चीन की धड़कनें बढ़ा दी है क्योंकि चीन को अंदाजा हो गया है की इसरो के इस मिशन का उद्देश्य क्या है चीन की घबराहट की सबसे बड़ी वजह यह है की इस चौथे चरण के जरिए भारत आसानी से किसी भी चीनी सैटेलाइट को बर्बाद कर सकता है और चीन को पूरा यकीन है की भारत जरूरत पड़ने पर उसके सैटेलाइट को टारगेट कर सकता है क्योंकि, इसरो अपने रॉकेट के साथ एक्सपेरिमेंट तौर पर खतरनाक एनर्जी वेपन अंतरिक्ष में भेज सकता है और उसके स्पेस स्टेशन और जासूसी सैटेलाइट को तबाह कर सकता है दोस्तों आपको मालूम ही है की, मार्च 2019 में ही भारत ने वो तकनीक हासिल कर ली है जिसके जरिए वो किसी भी वक्त किसी भी दुश्मन सैटेलाइट को तबाह कर सकता है और दोस्तों इसी बात से स्पेस में इसरो के तेजी से बढ़ रहे कदमों से चीन और अमेरिका परेशान हो उठे हैं क्योंकि, भारत ने ये तकनीकी अपने दम पर डेवलप की है।
दोस्तों इस वक्त दूसरे देशों की जमीन और समुद्र पर कब्जा करने के बाद चीन चंद्रमा पर कब्जा करने की साजिश रच रहा है वो चाहता है की चंद्रमा पर केवल उसका राज हो दूसरा कोई भी देश चंद्रमा पर ना तो रिसर्च कर सके ना ही वहां खुदाई कर सके चीन की मर्जी के खिलाफ कोई भी देश चंद्रमा में घुसने की कोशिश भी ना कर सके चीन तो यहां तक चाहता है की फ्यूचर में चंद्रमा तक जाने के लिए लोग उससे वीजा ले लेकिन भारत की बढ़ती स्पेस तकनीक ने चीन के इन अरमानों पर कुल्हाड़ी चला दी है क्योंकि, 3 साल पहले इसरो ने एंटी सैटेलाइट टेक्नोलॉजी हासिल की थी और अब इस नई तकनीक को हासिल करके इसरो ने एक बार फिर चीन की घबराहट बढ़ा दी है। इसरो ने मिसाइल के इस्तेमाल से करीब 300 किलोमीटर दूर औरबीट में मौजूद एक लाइव सैटेलाइट को नष्ट कर दिया था और इस तरह से भारत एंटी सैटेलाइट टेक्नोलॉजी में कामयाबी प्राप्त करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया था।
1967 में हुई आउटर स्पेस संधि के अनुसार अंतरिक्ष को युद्ध क्षेत्र नहीं बनाया जा सकता इसीलिए, भारत ने अपने ही सैटेलाइट को नष्ट किया था वो पूरा मिशन केवल 3 मिनट में पूरा हो गया था ये भारत की बहुत बड़ी कामयाबी थी दोस्तों सैटेलाइट किसी देश के लिए बेहद सीक्रेट वेपंस की तरह कम करते हैं। ये दुश्मन की तमाम कुटिया इनफॉरमेशन दे सकते हैं ऐसे में अगर भारत को दुश्मन के किसी सैटेलाइट से खतरा होता है तो भारत उसे आसानी से बर्बाद कर सकता है। पीएसएलवी c53 की पोयम तकनीक इस मामले में भारत की ताकत और बढ़ा देती है इसके जरिए भी भारत किसी भी सैटेलाइट को बर्बाद कर सकता है।
15 अगस्त 1969 से लगातार इसरो अंतरिक्ष में भारत की ताकत बढ़ा रहा है फिलहाल इसरो जी जान से गगनयान की तैयारी कर रहा है। गगनयान के जरिए एक बार फिर इसरो पुरी दुनिया में धमाका करने वाला है। पुरी दुनिया दिल थाम कर उस पल का इंतजार कर रही है। जब गगनयान की सफलता के साथ इसरो इतिहास रचेगा इससे पहले इसरो एक साथ 28 नैनो सैटेलाइट लॉन्च करके इतिहास रच चुका है। इसरो बहुत कम टाइम और बेहद कम बजट में ऐतिहासिक सफलता प्राप्त कर चुका है। अब भारतीय कंपनियों भी स्पेस प्रोग्राम में हिस्सा ले सकेंगे। अंतरिक्ष के इस खेल में व्यापार की असीमित संभावना है और भारत इस दिशा में कदम बढ़ा चुका है इसीलिए, अंतरिक्ष में भारत दुनिया के कुछ खास चुने देशों में से एक है।
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