नवी मुंबई : महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद ही शिवसेना पर दावेदारी को लेकर जोर अजमाइश हो रही है उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों ही अपने-अपने दावे कर रहे हैं. दोनों खेमों की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होनी है लेकिन सुनवाई से पहले उद्धव ठाकरे गुड की तरफ से अपना जवाब दाखिल किया गया है. देखिए रिपोर्ट महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर राज्य में उद्धव ठाकरे की सरकार को गिरा दिया और नई सरकार का गठन किया. लेकिन, नई सरकार के गठन के साथ ही राज्य की राजनीति में एक सवाल खड़ा हुआ आप शिवसेना किसकी वह इस सवाल के साथ उद्धव ठाकरे गुट ने अपने अलग दावे किए और स्वयं एकनाथ शिंदे ने अलग दावे किए दोनों गुटों की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई से पहले उद्धव ठाकरे गुड की तरफ से अपना जवाब दाखिल किया गया है.
ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाबी हलफनामे में कहा है महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार जहरीले पेड़ का फल है और इसके बीच बागी विधायकों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में बोल गए थे इसी के साथ क्रेडिट ने कहा कि शिंदे गुट के विधायकों ने संवैधानिक पाप किया है एकनाथ शिंदे और बागी विधायक शुद्ध हाथ लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं इसके अलावा दूसरे गुट ने कई सवाल खड़े करते हुए कहा कि बागी विधायकों ने अपनी पार्टी विरोधी गतिविधियों को छिपाने के लिए असली सेना के दावों के साथ चुनाव आयोग से संपर्क किया यह समझ से परे है कि, बागी विधायकों को महाराष्ट्र छोड़कर बीजेपी शासित गुजरात राज्य में क्यों जाना पड़ा बाद में असम में बीजेपी की गोद में बैठना पड़ा यदि उन्हें अपने पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त था.
तो ऐसा क्यों किया गया कहने की जरूरत नहीं है कि गुजरात और असम में शिवसेना के डर नहीं था केवल बीजेपी के अंदर था जो विधायकों को पूरा साजो-सामान मुहैया करा रहा था साथी था करे गुट ने कहा कि शिंदे ग्रुप के विधायकों ने पार्टी विरोधी विधियों को सही साबित करने के लिए छोटा नैरेटिव रहा है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के शिवसेना के साथ गठबंधन से उनके वोटर नाराज है जबकि हकीकत यह है कि यह विधायक महा विकास अघाड़ी गठबंधन मिर्धा इस साल तक मंत्री बने रहे पर उन्होंने कभी इस पर आपत्ति नहीं की और जिसे वह शिवसेना का पुराना सहयोगी यानी कि बीजेपी को बता रहे हैं उसने कभी शिवसेना को बराबर का दर्जा नहीं दिया जबकि महा विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार में शिवसेना के नेता को मुख्यमंत्री पद मिला है.